किसी नई फिल्म की समीक्षा सोशल मीडिया पर साझा करने पर लोगों को खूब रश्क होता है। ताने इस बात के मिलते हैं कि रिलीज से पहले ही फिल्म देखने का मौका मिलने से समीक्षकों के कितने मजे होते हैं। लेकिन, रिलीज से पहले तकरीबन हर फिल्म और वेब सीरीज देखना किसी अभिशाप से कम भी नहीं है। फिल्म अच्छी हो या बुरी देखनी ही होती है। और, फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ जैसी हो तो ना चाहकर भी दो तीन बार की हिम्मत बांधने के बाद देखनी ही होती है। धर्मा प्रोडक्शंस के लिए वैसे ही साल 2022 बहुत भारी रहा है। रही सही कसर इस फिल्म ने पूरी कर दी है।
धर्मा की साल की दूसरी ओटीटी फिल्म
धर्मा प्रोडक्शंस की इकलौती फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ को छोड़ दें तो कंपनी की इस साल ‘लाइगर’ जैसी मेगा बजट फिल्म सुपरफ्लॉप रही। ‘जुग जुग जियो’ जैसे तैसे अपनी लागत निकाल पाने में सफल रही और दीपिका पादुकोण जैसी सुपरस्टार के बावजूद फिल्म ‘गहराइयां’ को रिलीज करने की हिम्मत करण जौहर की नई पार्टनर कंपनी वायकॉम 18 भी नहीं जुटा पाई। ‘गोविंदा नाम मेरा’ धर्मा प्रोडक्शंस की साल की दूसरी फिल्म है जिसे वितरक नहीं मिले और इसे भी सीधे ओटीटी पर ही रिलीज करना पड़ा। Govinda Naam Mera Review
‘लेले’ के देने पड़ने वाली फिल्म
उधर, ओटीटी डिज्नी+ हॉटस्टार ने जैसे इन दिनों कसम खा रखी है, अपने ग्राहकों के धीरज का पूरा इम्तिहान लेने की। दो साल पहले फिल्म ‘लक्ष्मी’ से शुरू हुआ कचरा फिल्मों का सिलसिला ’ ‘कठपुतली’ से होता हुआ ‘गोविंदा नाम मेरा’ तक आ पहुंचा है। ‘अ थर्सडे’, ‘कौन प्रवीण तांबे’, ‘गुडलक जेरी’, ‘बबली बाउंसर’ और ‘फ्रेडी’ इस ओटीटी पर इस साल रिलीज हुई बाकी हिंदी फिल्में हैं। फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ की मेकिंग पर अपने आप में एक अलग फिल्म बन सकती है। वरुण धवन के साथ दो ठीक ठाक फिल्में बना चुके निर्देशक शशांक खेतान की इस फिल्म का नाम पहले ‘मिस्टर लेले’ था। वरुण धवन को इसकी कहानी पसंद नहीं आई तो करण जौहर ने फिल्म पर ही ताला लगा दिया था।
शशांक खेतान का एक और ‘प्रोजेक्ट’
बाद में जान्हवी कपूर का उनकी डेब्यू फिल्म ‘धड़क’ में ही करीब करीब पैकअप करा चुके शशांक की लल्लो चप्पो असर लाई और फिल्म को नया नाम मिला ‘गोविंदा नाम मेरा’। वरुण की जगह नया हीरो मिला विक्की कौशल और जान्हवी कपूर की जगह नई हीरोइन मिली कियारा आडवाणी। भूमि पेडनेकर ‘मिस्टर लेले’ में भी थीं और ‘गोविंदा नाम मेरा’ में भी हैं। क्यों हैं? ये वही जानें। करण जौहर की खासियत रही है कि वह अपनी कचरा से कचरा फिल्में औऱ डॉक्यूमेंट्री भी कोरोना संक्रमण काल में ओटीटी को बेचने में सफल रहे। ओटीटी को अपना माल बेचने का हुनर रखने वाला कोई भी इंसान इन दिनों मुंबई में फिल्म निर्माता बन सकता है।
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा
शशांक खेतान भी इसी नई सोच के निर्देशक हैं। निर्माता वह फिल्म ‘गुड न्यूज’ और ‘भूत पार्ट वन द हॉन्टेड शिप’ से बन ही चुके हैं। तो फिर फिल्म किसे बनानी है? कहीं की ईंट और कहीं का रोड़ा जोड़कर भानुमती का कुनबा बना देना उन्हें भी आ गया है। फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ एक ऐसा पाठ है जो हर फिल्म स्कूल में जरूर पढ़ाया जाना चाहिए कि आखिर एक ठीक ठाक निर्देशक अपने नाम की ब्रांडिंग कैसे जीरो पर ला सकता है। विक्की कौशल की इमेज अभी तक समझदार हीरो की रही है लेकिन वह भी ऐसी फिल्म कर सकते हैं तो फिर उनके अच्छे दिन भी अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही हवा हो सकते हैं।
फाइट मास्टर के बेटों की जंग
फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ में विक्की कौशल कोरियोग्राफर गणेश आचार्य के असिस्टेंट बने हैं, नाम है गोविंदा। मां उनकी एक मशहूर फाइट मास्टर की प्रेमिका थी। फाइट मास्टर की विधि विधान से शादी जिस महिला से हुई उसके भी एक बेटा है। फिल्म शुरू होने से पहले ही डिस्क्लेमर में शशांक बता चुके होते हैं कि कहानी काल्पनिक है लिहाजा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर फाइट मास्टर शेट्टी के निजी जीवन से इस किस्से की समानता पर ध्यान देना ठीक नहीं है। दोनों बेटों के बीच झगड़ा एक बंगले को लेकर है जिसकी बाजार में कीमत 150 करोड़ रुपये है। गोविंदा की मां गजब नौटंकीबाज है। अपाहिज का अभिनय करके सहानुभूति बटोरने में लगी रहती है और बेटा अपनी जोड़ीदार के साथ मोहब्बत बटोर रहा है। फिर एक मर्डर होता दिखता है। बंगले का सौदा होता है। बीच में म्यूजिक वीडियो, ड्रग्स और फालतू के दो तीन गाने भी होते हैं।
खराब एक्टिंग का कंपटीशन
फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ विक्की कौशल की शादी के बाद रिलीज हुई पहली फिल्म है। उनकी बीवी कैटरीना कैफ शादी के बाद ‘फोन भूत’ में अपने कोटे की खरी खोटी दर्शकों से सुन चुकी हैं। अब बारी विक्की कौशल की है। ‘उरी’ और ‘राजी’ को छोड़ दें तो विक्की के करियर में सोलो हीरो के तौर पर गिनाने को खास कुछ अब तक है नहीं। ‘सरदार उधम’ ओटीटी पर गई और अब एक और फिल्म। सबसे ज्यादा खराब एक्टिंग फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ में विक्की कौशल की है। न बीवी बनी भूमि पेडनेकर के साथ वह एकरस दिखते हैं और न ही प्रेमिका बनी कियारा आडवाणी के संग।
कियारा की किस्मत की भूल भुलैया
भूमि पेडनेकर ने तो यूं लगता है कि अपना करियर खुद ही दो चार साल का समझ लिया है और इस दौरान जितनी भी हो सके फिल्में करके अपना बैंक बैलेंस मजबूत करने का फैसला कर लिया है। अल्हड़पन और खराब एक्टिंग का फर्क समझना उनको अब भी बाकी है। कियारा आडवाणी धर्मा प्रोडक्शंस के लिए एक ऐसी गाय हैं जिन्हें जब जो चाहे अपने खूंटे से बांध लेता है। घर की फिल्म है। घर का निर्देशक है तो एक ए-लिस्टर चेहरा तो चाहिए ही और कियारा आडवाणी अभी इतनी बड़ी स्टार बनी नहीं हैं कि करण जौहर को न कह सकें। लिहाज लिहाज में बनी फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ की असल मटकी फूटती है दर्शक पर। कहानी को लेकर इतना कंफ्यूजन है कि कुछ महीने पहले, फिर कुछ दिन पहले से लेकर कुछ महीने पहले तक में ही गुणा भाग चलता रहता है। चारु श्री रॉय की एडिटिंग इतनी खराब है कि थाने में कुर्सी पर बैठे विकी कौशल के उठकर खड़े होने के शॉट की कटिंग और इसके ठीक बाद वहां से हवालात की तरफ जाने के सीन में विकी का पैर दो बार एक ही मूवमेंट करता दिखता है।
दादा कोंडके स्टाइल का गाना
फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ की बाकी तकनीकी टीम भी माशाअल्ला ही है। विदुषी तिवारी जितनी बढ़िया सिनेमैटोग्राफी गानों की करती हैं, उतनी होशियारी न वह और न उनकी लाइटिंग टीम बाकी दृश्यों मे दिखा पाती हैं। एक गाने में रणबीर कपूर भी नाचे हैं और जिस दूसरे गाने में विक्की कौशल एक तस्कर के बेटे का म्यूजिक वीडियो बनाते दिखते हैं, उसके गाने के बोल सुनकर आप सिर्फ अपना सिर पकड़ सकते हैं। यूं लगता है कि धर्मा प्रोडक्शंस में दादा कोंडके की आत्मा ब्रेकफास्ट करके निकल गई हो। गाना उन्हीं कुमार ने लिखा है जिनके लिखे गाने पर केसरिया पहन कर नाचीं दीपिका पादुकोण पर इन दिनों घमासान मचा हुआ है। हालांकि ‘गोविंदा नाम मेरा’ फिल्म ऐसी है कि इसके किसी गाने पर बवाल मच भी जाए तो भी फिल्म देखना किसी मुसीबत से कम नहीं है। Govinda Naam Mera Review, Govinda Naam Mera Review, Govinda Naam Mera Review ,Govinda Naam Mera Review